आइए जानते हैं कैसे खेतों में पाया गया शिवलिंग |
एक किसान खेतों में हल जोत रहा था तभी अचानक उसका हल शिवलिंग से टकराया, जब पहली बार उसका हल शिवलिंग से टकराया तो शिवलिंग से पानी की धारा निकली| जब दूसरी बार हल शिवलिंग से टकराए तो दूध की धारा निकली| जब तीसरी बार हल शिवलिंग से टकराया तो शिवलिंग का कुछ हिस्सा टूट गया और हल जोतने वाले किसान की आंखों की रोशनी चली गई|गसोता महादेव शिवलिंग की स्थापना
ऐसा कहा जाता है कि उसी रात को किसान को सपना हुआ और उस शिवलिंग को स्थापित करने के लिए उसे कहा गया | इसके बाद इस शिवलिंग को स्थापित करने के लिए शिवलिंग को उस जगह से कहीं अच्छे स्थान की तरफ ले जाया जा रहा था | जो लोग इस शिवलिंग को कहीं और स्थापित करने के लिए ले जा रहे थे वह रास्ते में विश्राम करने के लिए गसोता में रुक गए |जब लोग विश्राम करने के बाद दोबारा शिवलिंग को उठाने का प्रयास करने लगे तो यह शिवलिंग इतना भारी हो गया की यह शिवलिंग उनसे उठाया ही नहीं गया| बहुत कोशिश करने के बाद भी जब शिवलिंग उनसे उठाया नहीं गया तो उन्होंने इस शिवलिंग की स्थापना उसी स्थान पर कर दी |
स्थापना के बाद किसान ने अपनी आंखों की रोशनी वापस आ जाए, ऐसी भगवान महादेव से मनोकामना की और उसकी मनोकामना पूर्ण भी हुई| तब से लेकर आज तक जो भी व्यक्ति यहां पर कोई भी मनोकामना करता है महादेव उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं |
गसोता महादेव शिवलिंग कोई बनावटी शिवलिंग नहीं है यह स्वयंभू शिवलिंग है इसीलिए इसको स्वयंभू शिवलिंग गसोता महादेव कहा गया है|
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गसोता जगह का नाम गसोता क्यों पड़ा ?
गसोता नाम गाय माता जी के नाम पर है गसोता का नाम गसोता इसलिए पड़ा क्योंकि वहां पर बहुत सारे गाय चराने वाले लोग रहा करते थे | और गायों की सेवा करके ही अपना जीवन यापन करते थे |गसोता महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचे | Click Here.
