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Sunday, May 31, 2020

Gasota Mahadev Story

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आइए जानते हैं गसोता महादेव की कहानी के बारे में | गसोता महादेव जी का मंदिर on record लगभग 400 साल पुराना है जब गसोता महादेव जी का मंदिर बना था तब यह एक बहुत ही छोटा सा मंदिर हुआ करता था ऐसा कहा जाता है कि गसोता महादेव में रखा हुआ शिवलिंग वहां से 1 किलोमीटर दूर खेतों में पाया गया था|
Gasota Mahadev Story

आइए जानते हैं कैसे खेतों में पाया गया शिवलिंग |

एक किसान खेतों में हल जोत रहा था तभी अचानक उसका हल शिवलिंग से टकराया, जब पहली बार उसका हल शिवलिंग से टकराया तो शिवलिंग से पानी की धारा निकली| जब दूसरी बार हल शिवलिंग से टकराए तो दूध की धारा निकली| जब तीसरी बार हल शिवलिंग से टकराया तो शिवलिंग का कुछ हिस्सा टूट गया और हल जोतने वाले किसान की आंखों की रोशनी चली गई|

गसोता महादेव शिवलिंग की स्थापना

ऐसा कहा जाता है कि उसी रात को किसान को सपना हुआ और उस शिवलिंग को स्थापित करने के लिए उसे कहा गया | इसके बाद इस शिवलिंग को स्थापित करने के लिए शिवलिंग को उस जगह से कहीं अच्छे स्थान की तरफ ले जाया जा रहा था | जो लोग इस शिवलिंग को कहीं और स्थापित करने के लिए ले जा रहे थे वह रास्ते में विश्राम करने के लिए गसोता में रुक गए |

जब लोग विश्राम करने के बाद दोबारा शिवलिंग को उठाने का प्रयास करने लगे तो यह शिवलिंग इतना भारी हो गया की यह शिवलिंग उनसे उठाया ही नहीं गया| बहुत कोशिश करने के बाद भी जब शिवलिंग उनसे उठाया नहीं गया तो उन्होंने इस शिवलिंग की स्थापना उसी स्थान पर कर दी | 

स्थापना के बाद किसान ने अपनी आंखों की रोशनी वापस आ जाए, ऐसी भगवान महादेव से मनोकामना की और उसकी मनोकामना पूर्ण भी हुई| तब से लेकर आज तक जो भी व्यक्ति यहां पर कोई भी मनोकामना करता है महादेव उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं |


गसोता महादेव शिवलिंग कोई बनावटी शिवलिंग नहीं है यह स्वयंभू शिवलिंग है इसीलिए इसको स्वयंभू शिवलिंग गसोता महादेव कहा गया है|

गसोता जगह का नाम गसोता क्यों पड़ा ?

गसोता नाम गाय माता जी के नाम पर है गसोता का नाम गसोता इसलिए पड़ा क्योंकि वहां पर बहुत सारे गाय चराने वाले लोग रहा करते थे | और गायों की सेवा करके ही अपना जीवन यापन करते थे |

गसोता महादेव मंदिर तक कैसे पहुंचे | Click Here.

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